Jharkhand Assembly Election results-2019 // झारखंड विधानसभा चुनाव-2019 का नतीजा
झारखंड में एक नया सबेरा का उदय
JMM महागठबंधन सरकार की BJP पर बहुत बड़ी
नमस्कार दोस्तों...!!!
मैं आज अपने विषय की शुरुआत ऐसी Topic से करने जा रहा हूं जहां विवाद की कड़ी बहुत ज्यादा होती है पर मेरा ये लेख का मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की नहीं है बल्कि उन सच्चाई को या उन खामियां को उजागर करने की है जो पिछली सरकार यानी BJP सरकार ने झारखंड की जनता के साथ की है.....!!!
हाल ही में झारखंड विधानसभा चुनाव-2019 के नतीजे सामने आ गए हैं जिसका सबको बेसब्री से इंतजार था और
ये इंतजार सुबह के उगते हुए सूरज के साथ शुरू होकर शाम के ढलते हुए सूरज के साथ सुखद भरी और इतिहासिक रूप से सम्पन्न हुई ।
23 दिसंबर की सुबह हर झारखंड वासियों के लिए सबसे खास दिन थी क्योंकि विधानसभा चुनाव के नतीजे जो आने थे। उस दिन सुबह 8 बजे के पहले से ही लोगों की नजरें घर की TV Screen पर टिकी हुई थी ताकि उन्हें पल-पल की
ख़बरें मिलती रहे और ये नजरें न सिर्फ बेरोजगार नौजवानों तक ही सीमित नहीं थी बल्कि उसके साथ-साथ बूढ़े-बुजुर्ग, महिला, किसान, मजदूर, पारा शिक्षक, सरकारी सहकर्मी भी थे जो शायद इस उम्मीद के साथ बैठे थे कि कोई तो होंगे जो उनके "हितों" की बात करेंगे और उन्हें उनका "अधिकार"
दिलायेंगे ।
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि सरकारी विद्यालय के नन्हे बच्चों की टोली भी इसमें शामिल थे और आज वो अपने मनपसंद टिवी चैनलों की मांग नहीं कर रहे थे भले ही वो कभी
वैसे तो झारखंड राज्य को खनिजों से सम्पन्न राज्य माना जाता है पर आज भी राज्य की स्थिति सुधरी नहीं है।।।
इस राज्य को बिहार से अलग हुए 19वां वर्ष बीत गया है फिर भी ये शिक्षा, स्वस्थ, विकास, रोजगार आदि के मामलों में दूसरे राज्यों की तुलना में अब भी बहुत पीछे चल रही है ।।
ये बातें एक खनिज सम्पदा राज्य के लिए बहुत कष्टदायक
सिद्ध होती है ।।
इसलिए हर झारखंड वासी एक बदलाव चाहते थे क्योंकि हरकोई आनेवाले दिनों में झारखंड को श्रेष्ठतम राज्यों की श्रेणी में देखना चाहते हैं ।।
हर कोई यही चाहते थे कि उनके आने वाले सरकार उनका कोई अपना हो, जनता की सुनने वाला, स्थानीयता को प्राथमिकता देने वाला और जनता की हर"आकांक्षाओं" में खरा उतरने वाला होना चाहिए ।।
पर जैसे-जैसे वक्त का पहिया बढ़ता गया ठीक वैसे ही लोगों की धड़कनें भी तेज़ होती गयी खासकर पार्टी उम्मीदवारों की जो किसी पार्टी के एक उम्मीदवार के रूप में खड़े थे।
और जैसी ही वोटों की गिनती शुरू हुई उम्मीदवारों की धड़कनें भी उसी रफ्तार से करवटें लेने लगी और उसके
दिलायेंगे ।
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि सरकारी विद्यालय के नन्हे बच्चों की टोली भी इसमें शामिल थे और आज वो अपने मनपसंद टिवी चैनलों की मांग नहीं कर रहे थे भले ही वो कभी
"Tom & Jerry", "Chhota Bhim" जैसी कार्टून चैनलों के लिए कभी रोते थे पर आज सब शांत थे शायद उन्हें भी इंतजार था अपने होने वाले नये "मुख्यमंत्री" के नये चेहरों का क्योंकि शायद इस "नन्हे से दिल" को भी कहीं ना कहीं BJP सरकार के द्वारा गांव में वर्षों से बंद पड़े विद्यालयों से इतराज हों और शायद यही कारण है कि आज ये नन्हे भी अपने बंद पड़े विद्यालयों के फिर से खुलने की आस लगाए बैठे हों ।।
यहां सभी वर्गों की "आकांक्षाएं" अलग-अलग थी पर सबके विचार एक ही जैसे थे क्योंकि सब "बदलाव" चाहते थे...।।।
वैसे तो झारखंड राज्य को खनिजों से सम्पन्न राज्य माना जाता है पर आज भी राज्य की स्थिति सुधरी नहीं है।।।
इस राज्य को बिहार से अलग हुए 19वां वर्ष बीत गया है फिर भी ये शिक्षा, स्वस्थ, विकास, रोजगार आदि के मामलों में दूसरे राज्यों की तुलना में अब भी बहुत पीछे चल रही है ।।
ये बातें एक खनिज सम्पदा राज्य के लिए बहुत कष्टदायक
सिद्ध होती है ।।
इसलिए हर झारखंड वासी एक बदलाव चाहते थे क्योंकि हरकोई आनेवाले दिनों में झारखंड को श्रेष्ठतम राज्यों की श्रेणी में देखना चाहते हैं ।।
हर कोई यही चाहते थे कि उनके आने वाले सरकार उनका कोई अपना हो, जनता की सुनने वाला, स्थानीयता को प्राथमिकता देने वाला और जनता की हर"आकांक्षाओं" में खरा उतरने वाला होना चाहिए ।।
उस वक्त चारों ओर के नजारे देखने लायक थी क्योंकि वातावरण शांत और मौन थी ...... वहां " धड़कनों" के सिवा किसी की नहीं चल रही थी कुछ पल के लिए तो मानों ऐसे लग रहा था जैसे मैं कहीं अलग दुनिया में आ तो नहीं गया हूं ।
पर जैसे-जैसे वक्त का पहिया बढ़ता गया ठीक वैसे ही लोगों की धड़कनें भी तेज़ होती गयी खासकर पार्टी उम्मीदवारों की जो किसी पार्टी के एक उम्मीदवार के रूप में खड़े थे।
और जैसी ही वोटों की गिनती शुरू हुई उम्मीदवारों की धड़कनें भी उसी रफ्तार से करवटें लेने लगी और उसके
साथ-साथ पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों की
भीड़ उन करवटों को ढ़ोल - नगाड़ों, पटाखों की गुजों के माध्यम से धीरे-धीरे एक नये रुप दे रहे थे।।
शाम की ढलती सूरज के साथ तस्वीरें पूरी तरह से साफ हो चुकी थी और सबको अपनी मनपसंद नये मुख्यमंत्री के चेहरे की एक झलक देखने को मिल चुकी थी और यही कारण है कि हर किसी के थकान भरी चेहरों में भी एक "सुकुन" के पल साफ-साफ झलक रही थी और जिन्हें बयां करने की जरूरत नहीं है मानों ऐसे लग रहा था कि जैसे लोगों को फिर से नयी जिन्दगी मिल गयी हों ।।
एक ओर जहां चुनाव परिणाम आने के बाद जीत की खुशियां मनाई जा रही थी तो वहीं दुसरी ओर हार के ग़म में मातम मनाया जा रहा था ।।।
हालांकि, ये "हार और जीत" तो हमेशा होती रहती ही है क्योंकि ये भी चुनाव का ही एक हिस्सा हैं ।।
लेकिन फिर भी एक बात तो पूर्ण रूप से साफ हो गया है इस 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम से कि सबको अपनी-अपनी करनी का फल मिल चुका था जिसने जैसे बोया था वैसे ही काटा..... किसी ने ठीक ही कहा है जैसे करोगे वैसे ही भरोगे।।
जहां एक ओर श्री हेमंत सोरेन और श्री सरयू राय जैसे बड़े उम्मीदवार अपने-अपने पार्टी के लिए मिल का पत्थर साबित होते हैं या यूं कहें कि वह उगते हुए सूरज बनकर उभरते हैं क्योंकि उसने जनता के लिए अच्छे "कर्म" किए थे जो आज उसे उसका सुखद परिणाम मिला ।।
वहीं दूसरी ओर प्रथम गैर आदिवासी मुख्यमंत्री का दर्जा पाने वाले श्री रघुवरदास को अपने बुरे किए कर्म के अनुसार अपने कुर्सी भी गंवानी पड़ी ।।
उसके साथ-साथ BJP के बड़े-बड़े दिग्गज नेता भी अपनी कुर्सी को बचाने में नाकाम रहे।।
(जैसे:- श्री दिनेश उरांव, श्री कुणाल षाड़ंगी आदि)
से रौंदवाया गया। ।।।
* इसी ACT. के तहत झारखंड राज्य के 33,000 से ज्यादा आदिवासी और दलित वर्ग बेदखल होने के कगार पर हैं ।।
नौजवानों को रोजगार देने में असक्षम ।
पर अब पछताये क्या होत है, जब चिड़िया चुग गई खेत।।।।
जहां JMM महागठबंधन सरकार को कुल 47 सीटें प्राप्त हुई जो पूर्ण बहुमत के आंकड़ों से 6 सीटें ज्यादा थी तो वहीं BJP को 25 सीटें, आजसू को 2 ,JVM को 3 और
अन्य को 4 सीटें प्राप्त हुई ।।।
हालांकि, देर से ही सही पर सही वक्त पर झारखंड की जनताऔं ने BJP सरकार को बहुत बुरी तरह से सबक सिखायी है ।।।
लगता है अब झारखंड की जनता धीरे-धीरे "जाग" रही है और प्रगति के पथ पर बढ़ रही है भले ही देर से सही पर ये आने वाले पीढ़ी के लिए एक बहुत अच्छा संकेत दे रही है ।।।
कहते हैं ना कि हर बड़ी सपनों की शुरुआत हमेशा एक छोटी सी कोशिशों से ही शुरू होती है ।।
मैं अंत में झारखंड की तमाम जनताओं को चुनाव परिणाम के लिए बधाई देता हूं और उनकी हर उम्मीदें को नये JMM महागठबंधन सरकार पूरी करे उसके लिए शुभकामनाएं देता हूं ।।
मुझे आशा है कि आप सबको मेरी post पसंद आयी होगी....
comments Box में जरूर बताएं और हां,...!!!
हो सके तो इसे लोगों में share करना ना भूलें ताकि मुझे ऐसी ही post लिखने के लिए मुझे आप सबका साथ और
Motivation मिलता रहे ।।
भीड़ उन करवटों को ढ़ोल - नगाड़ों, पटाखों की गुजों के माध्यम से धीरे-धीरे एक नये रुप दे रहे थे।।
शाम की ढलती सूरज के साथ तस्वीरें पूरी तरह से साफ हो चुकी थी और सबको अपनी मनपसंद नये मुख्यमंत्री के चेहरे की एक झलक देखने को मिल चुकी थी और यही कारण है कि हर किसी के थकान भरी चेहरों में भी एक "सुकुन" के पल साफ-साफ झलक रही थी और जिन्हें बयां करने की जरूरत नहीं है मानों ऐसे लग रहा था कि जैसे लोगों को फिर से नयी जिन्दगी मिल गयी हों ।।
एक ओर जहां चुनाव परिणाम आने के बाद जीत की खुशियां मनाई जा रही थी तो वहीं दुसरी ओर हार के ग़म में मातम मनाया जा रहा था ।।।
हालांकि, ये "हार और जीत" तो हमेशा होती रहती ही है क्योंकि ये भी चुनाव का ही एक हिस्सा हैं ।।
लेकिन फिर भी एक बात तो पूर्ण रूप से साफ हो गया है इस 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम से कि सबको अपनी-अपनी करनी का फल मिल चुका था जिसने जैसे बोया था वैसे ही काटा..... किसी ने ठीक ही कहा है जैसे करोगे वैसे ही भरोगे।।
जहां एक ओर श्री हेमंत सोरेन और श्री सरयू राय जैसे बड़े उम्मीदवार अपने-अपने पार्टी के लिए मिल का पत्थर साबित होते हैं या यूं कहें कि वह उगते हुए सूरज बनकर उभरते हैं क्योंकि उसने जनता के लिए अच्छे "कर्म" किए थे जो आज उसे उसका सुखद परिणाम मिला ।।
वहीं दूसरी ओर प्रथम गैर आदिवासी मुख्यमंत्री का दर्जा पाने वाले श्री रघुवरदास को अपने बुरे किए कर्म के अनुसार अपने कुर्सी भी गंवानी पड़ी ।।
उसके साथ-साथ BJP के बड़े-बड़े दिग्गज नेता भी अपनी कुर्सी को बचाने में नाकाम रहे।।
(जैसे:- श्री दिनेश उरांव, श्री कुणाल षाड़ंगी आदि)
BJP सरकार की हार के प्रमुख कारण:-
1. CNT-SPT ACT. संशोधन विधेयक बिल जबरन पास करना जिसके तहत आदिवासियों को अपने जल, जंगल और जमीनों के अधिकारों से बेदखल किया गया।
* इसी ACT. के तहत गोड्डा में किसानों के साथ अत्याचार किया गया उनकी लहलहाती फसलों को JCB machineसे रौंदवाया गया। ।।।
* इसी ACT. के तहत झारखंड राज्य के 33,000 से ज्यादा आदिवासी और दलित वर्ग बेदखल होने के कगार पर हैं ।।
2. राज्य की स्थानीयता को प्राथमिकता ना देना ।
* राज्यों के प्रमुख स्थानीय मुद्दों को नजरअंदाज
करना ।।
( जैसे:- शिक्षा, स्वस्थ, सिंचाई, विकास आदि)
3. रोजगार देने में असक्षम
* पांच सालों में एक स्थिर सरकार होने के बावजूदनौजवानों को रोजगार देने में असक्षम ।
4. लगभग प्रत्येक गांवों के विद्यालयों को जबरन बंद किया गया परन्तु शराब की बड़ी-बड़ी कम्पनियां आज भी खुलेआम शराब बेच रही है ।।।
इससे आप झारखंड के सरकारी विद्यालयों के Education system के बारे में अंदाजा लगा सकते हैं कि BJP सरकार गांव के Education system पर कितनी ध्यान रखते हैं।
5. उच्च शिक्षा हेतु बाहर पढ़ रहे गरीब विधार्थियों के
"SCHOLARSHIP" बंद करवाना ।।
6. किसानों को सही सुविधा मुहैया ना कराना ।।
7. पारा शिक्षकों को उनकी अधिकार ना दिलाना ।।
8. हाल ही में महिला सेविकाओं पर HITLER
जैसी वारताव करना और उनपर पुलिस प्रशासन द्वारा लाठी चार्ज करवाना ।।
चुनाव परिणाम आने के बाद BJP को अपनी किए पर पछतावा हो रही थी क्योंकि वह JMM महागठबंधन की सरकार से बहुत बड़ी अंतर से हार गई थी।पर अब पछताये क्या होत है, जब चिड़िया चुग गई खेत।।।।
जहां JMM महागठबंधन सरकार को कुल 47 सीटें प्राप्त हुई जो पूर्ण बहुमत के आंकड़ों से 6 सीटें ज्यादा थी तो वहीं BJP को 25 सीटें, आजसू को 2 ,JVM को 3 और
अन्य को 4 सीटें प्राप्त हुई ।।।
हालांकि, देर से ही सही पर सही वक्त पर झारखंड की जनताऔं ने BJP सरकार को बहुत बुरी तरह से सबक सिखायी है ।।।
लगता है अब झारखंड की जनता धीरे-धीरे "जाग" रही है और प्रगति के पथ पर बढ़ रही है भले ही देर से सही पर ये आने वाले पीढ़ी के लिए एक बहुत अच्छा संकेत दे रही है ।।।
कहते हैं ना कि हर बड़ी सपनों की शुरुआत हमेशा एक छोटी सी कोशिशों से ही शुरू होती है ।।
मैं अंत में झारखंड की तमाम जनताओं को चुनाव परिणाम के लिए बधाई देता हूं और उनकी हर उम्मीदें को नये JMM महागठबंधन सरकार पूरी करे उसके लिए शुभकामनाएं देता हूं ।।
मुझे आशा है कि आप सबको मेरी post पसंद आयी होगी....
comments Box में जरूर बताएं और हां,...!!!
हो सके तो इसे लोगों में share करना ना भूलें ताकि मुझे ऐसी ही post लिखने के लिए मुझे आप सबका साथ और
Motivation मिलता रहे ।।
Good agge badho
जवाब देंहटाएंTq Bro....!!!
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